Friday, September 10, 2010

ना जाने क्यों ...

सब कुछ तो कहती है दिल से
फिर क्यों कहते है , क्या कुछ छुपाती है वो



सब कुछ तो कहती है जुबान से
फिर क्यों कहते है, क्या कहना चाहती है वो



सब कुछ तो कहती है आँखों से
फिर क्यों कहते है, क्या चाहती है वो


एक मुस्कुराहट से छुपा देती है
हर बात को वो , हर एहसास को वो
























Sushmita...

Wednesday, September 1, 2010

चाहत ...

एक ख्वाब में रुसवाई सी

एक रूबरू परछाई सी

चलती हूँ हर कदम यूँ ही

एक बात है अधूरी कहानी सी......


                                                     




















Sushmita.....